Shri Lakshmi Vyayam Mandir Jhansi, Vyamyamshala Jhansi, LVM Jhansi |
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श्री लक्ष्मी व्यायाम मंदिर (व्यायामशाला), झांसी, (उ.प्र.)

LARGE GYMNASTIC HALL

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श्री लक्ष्मी व्यायाम मंदिर (व्यायामशाला)
झांसी, (उ.प्र.)

श्री लक्ष्मी व्यायाम मंदिर (व्यायामशाला) झांसी के व्यायाम संस्थाओं में से एक है यह व्यायाम संस्था झांसी के सबसे पुरानी जो 1933 में गठन हुई थी जो कि आज तक अपने खेलकूद गतिविधियों जैसे जिमनास्टिक,मलखंब, हॉकी, क्रिकेट , वॉलीबॉल,खो खो ,कबड्डी इत्यादि खेलो को सुचारू रूप से बुंदेलखंड के क्षेत्र के बच्चों को प्रदान कर रहा है हमारे यहां के बच्चे काफी समय से देश और प्रदेश की उपलब्धियों को प्राप्त कर चुके हैं


लक्ष्य एवं उद्देश्य-
(१) भारतीय व्यायाम के विकास और उसकी उच्चतम कला एवं प्रणालियों हेतु वैज्ञानिक अनुसंधान करना तथा युवकों व युवतियों को भार- तीय व्यायाम, जिम्नास्टिक एवं खेलकूदों में प्रशिक्षित करना ।
(२) व्यायाम खेलकूद एवं सदाचार शिक्षा के माध्यम से तरुणों में स्वास्थ्य के प्रति अभिरुचि उत्पन्न करते हुए उन्हें सबल सच्चरित्र सुशील नागरिक बनाना व देशानुराग की सुभावनायें जाग्रत करना ।
(३) सामूहिक व्यायाम प्रणाली के माध्यम से अनुशासित साहचर्य जीवन की भावनायें उत्पन्न करना तथा जाति, साम्प्रदाय एवं धर्मोपरि एकता का विकास करना । Read More...

संस्थापक का संदेश

मन्दसौर में पैदा हुये मुरार ग्वालियर में पले तथा 1909 में हाई स्कूल परीक्षा पास करके झांसी आकर गणेश मन्दिर में रहने लगे। रेल्वे की नौकरी करने लगे । गांधीवादी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने के कारण 1930 के रेल्वे की नौकरी छोड़ दी। स्वतंत्रता आन्दोलन में कूदने के साथ-साथ झांसी में युवकों के स्वास्थ्य के लिये कुछ कर गुजरने की ठानी। अतः दो चार युवकों को लेकर पचकुंया स्थित महाराष्ट्र व्यायामशाला में व्यायाम कार्य प्रारम्भ किया परन्तु महाराष्ट्र समाज ने इनके साथियों पर मराठी न होने के कारण व्यायाम शाला प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया। अन्ना जी ने नाराज होकर वर्तमान स्थान 18 जून 1933 में श्री लक्ष्मी व्यायाम मन्दिर झांसी की स्थापना की इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। ऊबड़-खाबड़ भूमि को ठीककर स्वयं बांस का टपरा बनाकर व्यायाम कार्य प्रारम्भ कराया। अन्ना जी बेरोजगार रहे, भूखे-प्यासे रहे लेकिन श्री लक्ष्मी व्यायाम मन्दिर को बनाये रहे। इस स्थान पर सिनेमा घर नहीं बनने दिया। सिनेमा घर की तोड़-फोड़ करने के लिये अपने साथियों सहित जेल भी गये। सस्था को बनाये रखने में उन्होंने अपना सर्वस्व न्योछावार कर दिया। अपने साथियों एवं शिष्यों के साथ कड़ी मेहनत, निष्ठा और अनुशासन के साथ संस्था को खेलकूद और शिक्षा के क्षेत्र में उच्च शिखर पर पहुंचा दिया जो अनुकरणीय एवं स्मरणीय है


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संस्था को वट वृक्ष के रूप में विकसित करने वाले आदरणीय स्वर्गीय श्री सीताराम गुप्त (बड़े भाई साहब) का जीवन परिचय

बुन्देलखण्ड की वीर भूमि में अनेक सपूतों ने जन्म लिया। श्री सीताराम जी गुप्त उन्हीं में से एक हैं जो आजीवन खेलकूदों और समाज सेवा में सलग्न रहे। स्व० सीताराम गुप्त का जन्म अगस्त 1933 को झाँसी जिले के ग्राम परसर में एक प्रतिष्ठि गहोई वैश्य परिवार में हुआ। इनके पिता स्व० हरप्रसाद मोदी अपने क्षेत्र के रईस लोगों में गिने जाते थे, इनकी माता का नाम श्रीमती राधारानी था।
प्रारम्भिक शिक्षा अपने गाँव में पूरी करने के पश्चात श्री गुप्तजी 1946 में झाँसी आ गये और यहीं माध्यमिक और उच्च शिक्षा पूरी की। आप जब 1948 में कक्षा आठ में अधय्यनरत थे तभी से श्री लक्ष्मी व्यायाम मन्दिर झाँसी में सस्थापक गुरूदेव अन्नाजी के शरण में आकर जिम्नास्टिक्स् एवं मल्लखम्ब का प्रशिक्षण प्राप्त करने लगे और उनके प्रिय शिष्य हो गये। अपने स्वस्थ्य शरीर अपनी बुद्धिमतता, विवेकशीलता, क्रान्तिकारी विचारधारा एवं नेतृत्व क्षमता के कारण ही अति शीघ्र श्री सीताराम गुप्त ने श्री लक्ष्मी व्यायाम मंदिर झाँसी की बागडोर सम्भाल ली और श्री लक्ष्मी व्यायाम मंदिर में 1952-53 में वह मुख्य शिक्षक बनकर संस्था के प्रमुख कार्यकर्त्ता बन गये। ......

उनकी मधुर स्मृति को बनाये रखने हेतु श्री लक्ष्मी व्यायाम मन्दिर झाँसी की प्रबन्ध समिति ने प्रतिवर्ष अखिल भारतीय आमंत्रण मल्लखम्ब प्रतियोगिता आयोजित करने का निर्णय लिया है। Read More...

स्व.सीताराम गुप्त

पूर्व प्राचार्य

Our Mission

The college with its motto "Art of Learning" has been serving the society in the field of education. Today it stands as a 'Repository of learning' and a patron of 'Quality Consciousness' devoted to fostering knowledge, self-discovery, human dignity and integrity.

Our Vision

Our Vision is to see beyond the narrow walls of the classrooms and textbooks and promote out of the box thinking to empower every student to master the challenges of today and shape the worlds of tomorrow.

Special Award

A special award (consistent effort) will be given to students for showing improvement in academics throughout the academic year.

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संस्था के बहुमूल्य क्षण

Golden Moments